- धारा ५३ दण्ड
- धारा ५३ क निर्वसन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना
- धारा ५४ लघु दण्डादेश का लघुकरण
- धारा ५५ आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
- धारा ५५ क समुचित सरकार की परिभाषा
- धारा ५६ निरसित
- धारा ५७ दण्डावधियों की भिन्ने
- धारा ५८ निरसित
- धारा ५९ निरसित
- धारा ६० दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा
- धारा ६१ निरसित
- धारा ६२ निरसित
- धारा ६३ जुर्माने की रकम
- धारा ६४ जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
- धारा ६५ जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
- धारा ६६ जुर्माना न देने पर किस भंति का कारावास दिया जाय
- धारा ६७ जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
- धारा ६८ जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
- धारा ६९ जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
- धारा ७० जुर्माने का छ: वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय होना
- धारा ७१ कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
- धारा ७२ कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
- धारा ७३ एकांत परिरोध
- धारा ७४ एकांत परिरोध की अवधि
- धारा ७५ पूर्व दोषसिदि्ध के पश्च्यात अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन कतिपय अपराधें के लिये वर्धित दण्ड
भारतीय दंड संहिता
अध्याय ३ ( दण्डों के विषय में )
अध्याय २ ( साधारण स्पष्टीकरण )
- धारा ६ संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
- धारा ७ एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
- धारा ८ लिंग
- धारा ९ वचन
- धारा १० पुरूष, स्त्री
- धारा ११ व्यक्ति
- धारा १२ लोक
- धारा १३ निरसित
- धारा १४ सरकार का सेवक
- धारा १५ निरसित
- धारा १६ निरसित
- धारा १७ सरकार
- धारा १८ भारत
- धारा १९ न्यायाधीश
- धारा २० न्यायालय
- धारा २१ लोक सेवक
- धारा २२ जंगम सम्पत्ति
- धारा २३ सदोष अभिलाभ
- सदोष अभिलाभ
- सदोष हानि
- सदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठाना
- धारा २४ बेईमानी से
- धारा २५ कपटपूर्वक
- धारा २६ विश्वास करने का कारण
- धारा २७ पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति
- धारा २८ कूटकरण
- धारा २९ दस्तावेज
- धारा २९ क इलेक्ट्रानिक अभिलेख
- धारा ३० मूल्यवान प्रतिभूति
- धारा ३१ विल
- धारा ३२ कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है
- धारा ३३ कार्य, लोप
- धारा ३४ सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य
- धारा ३५ जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या
- आशय से किया गया है
- धारा ३६ अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम
- धारा ३७ किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक
- को करके सहयोग करना
- धारा ३८ अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
- धारा ३९ स्वेच्छया
- धारा ४० अपराध
- धारा ४१ विशेष विधि
- धारा ४२ स्थानीय विधि
- धारा ४३ अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्ध
- धारा ४४ क्षति
- धारा ४५ जीवन
- धारा ४६ मृत्यु
- धारा ४७ जीव जन्तु
- धारा ४८ जलयान
- धारा ४९ वर्ष, मास
- धारा ५० धारा
- धारा ५१ शपथ
- धारा ५२ सद्भावनापूर्वक
- धारा ५२ क संश्रय
अध्याय १ ( उद्देशिका )
- धारा १ संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
- धारा २ भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
- धारा ३ भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड
- धारा ४ राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
- धारा ५ कुछ विधियों पर इस आििनधयम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
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